Thursday 10 May 2012


मेरे दिल से तुम्हारे दिल तक...एहसासों की खुश्बू बिखरी है...
मिट सकती हैं हस्ती अपनी.. रिश्ता-ए-रूह मिट सकता नहीं....

2 comments:

  1. _इस दिल में जब तक तेरी जुस्तजू है, ज़बाँ जब तलक है यही गुफ़्तगू है तमन्ना है तेरी अगर है तमन्ना ! तेरी आरज़ू है अगर आरज़ू है, किया सैर सब हमने गुलज़ार-ए-दुनिया, गुले-दोस्ती में अजब रंगो-बू है ग़नीमत है ये दीद वा दीदे-याराँ ! नज़र मेरे दिल की पड़ी ‘दोस्त’ किस पर, जिधर देखती हूँ वही रू-ब-रू है...

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  2. वाह ! क्या बात कही प्रकृति ! दिल गदगद हो गया ! बहुत बहुत शुक्रिया दोस्त ! :)

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